स्कूल की सब्जी मै मौसमो का तड़का
स्कूल की सब्जी मै मौसमो का तड़का
वो पसीने से लतपत दिन,
वो ठंडी शरबतो मे डूबा मन।
वो पाँच नम्बर मे पँखा चलाना,
वो बहती हवा का इंतजार करना।
वो लम्बे दिन, छोटी राते
और आलस से भरि शामे।।
वो बरसते बादल, वो कपकपाते शरीर,
अंधेरी राते, वो गड़गड़ाते बादल।
कभी उन छोटे तालाबो से बचना,
तो कभी छपाक से उनमे कूदना।
वो दोस्तो की रंग बिरंगी छतरीयो को देखना,
और उस बंजारे को शरण देना जो अपना छाता
लाना हर बार भूल जाता है।।
वो कपड़ो का हाफ से फुल हो जाना,
वो छोटे दिनो मे आलस की धुंध|
अपने ठंडे हाथो को दोस्तो के गालो मै लगाना,
और गलती से पंखा चलाने वाले को डाटना।
स्कूल ना जाने के कई बहाने बनाना,
और फिर कोहरे मे स्कूल जाना।।
A.V
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