25th Anniversary

 आप जानते हो, हम इतने अजीब और ज़्यादा सवाल क्यों पूछते हैं?

शायद हम मतलबी हैं...

कौन जाने किसका बुलावा कब आ जाए।

शायद इसलिए हम आपसे सब कुछ सीख लेना चाहते हैं,

ताकि बाद में कोई अफ़सोस न रहे।


हम नहीं चाहते कि आप चले जाएं,

और हम कभी जान ही न पाएं कि

मम्मी और पापा कैसे शख़्स थे।

शायद इसलिए बार-बार पूछ लेते हैं,

और खुद को तैयार करते रहते हैं

उस दिन के लिए जब आप नहीं होंगे।


ये सब मामा, ताई जी, और परिवार को देख कर सीखा है।

दिल... कभी कठोर नहीं हुआ,

पर आँखें अब ग़म की ख़ूबसूरती देखना सीख गई हैं,

और दिमाग... ग़म से उभरना।

हमें अभी तक बात रखना अच्छे से नहीं आता,

परिवारि निभा पाएंगे या नहीं, पता नहीं।

(शायद पत्नी अच्छी होगी तो शायद निभा जाए।)


आप लोग भी ज़्यादा उम्मीद मत रखो,

और अपनी ज़िंदगी बिंदास हो कर जियो।

जो हो रहा है, होने दो,

ज़िंदगी बहुत छोटी है यार छोटी-छोटी बात की चिंता करने के लिए।

(हाँ मम्मी, ये आप ही के लिए कह रहा हूँ।)


तभी शायद हर अलविदा, दिल भर के होनी चाहिए,

क्योंकि कौन जानता है, कौन-सी रुख़्सत आख़िरी हो।


21 फ़रवरी – आज काफ़ी दिनों बाद पापा की कमी महसूस हुई।

त्योहार, सालगिरह, जन्मदिन...

उनमें वो नहीं होते, पर आज

जब मम्मी को २५वीं सालगिरह का केक काटते देखा,

और पापा सिर्फ़ एक वीडियो कॉल के पर्दे के उस पार थे...

अजीब से ख़याल दिमाग में उमड़ आए।

आँखें थोड़ी नम, चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट उभर आई।


एलबम के पुराने पन्ने पलटे…

मम्मी ख़ूबसूरत तो हैं,

और ज़्यादातर तस्वीरों में वो कैमरा की तरफ़ देख रही हैं।

पर पापा… मम्मी को देख रहे होते हैं।

और हम?

तस्वीर बिगाड़ने में लगे होते हैं।


कार्तिक को इतना बड़ा होते देख कर,

अलग सा एहसास दिल को ओढ़ लेता है।

अब सोचत हू, जब आपने हमें इतना बड़ा होते देखा होगा,

तो आपको कैसा महसूस हुआ होगा?


बाकी बस यही आशा है कि

हम आपकी पचासवीं और पचहत्तरवीं सालगिरह भी देखें और मनाएँ।

पर ये होगा या नहीं,

वो तो सिर्फ़ श्रीकृष्ण ही जानें।

राधे राधे।

Comments

Popular Posts

Ministry of Chai and ISL

Kavita

The Last Night and The First Day